कंप्यूटर क्या हैं? – पूरी जानकारी

कंप्यूटर क्या हैं – पूरी जानकारी (What is Computer in Hindi)

आज के इस दौर में हम सब कंप्यूटर (संगणक) से भली भांति परिचित है और कही ना कही कंप्यूटर का इस्तेमाल भी करते ही है। हो सकता है की अभी आप इस लेख को पढ़ने के लिए कंप्यूटर का ही इस्तेमाल कर रहे हो, या फिर ये भी हो सकता है आप मोइली से पद रहे हो।

कंप्यूटर आज के युग में हमारी जरुरत बन चूका है। पूरी दुनिया में कुछ भी काम हो सब कंप्यूटर के जरिए ही होता है। फिर चाहे वो कड़े सिलने का काम हो, TV बनाने, कार बनाने से लेकर सभी मशीनो के प्रोग्राम भी कंप्यूटर के जरिए बनते है। इसके अलावा और भी काफी सारे काम हम पलक झपकते ही कर सकते है।

कंप्यूटर भी एक मशीन ही होता तो है। लेकिन वास्तव में कंप्यूटर है क्या, वो कैसे काम करता है, और इसे किसने बनाया जैसे कई सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिल जाएंगे, तो अंत तक बने रहे।

आइए आगे बढ़ते है और इसके बारे में विस्तार से जनते है।

विषय - सूची

कंप्यूटर क्या होता है?

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो जानकारी को ढूंढ़ने, उन्हें स्टोर करने, प्रोग्राम बनाने और दूसरी मशीनो को कंट्रोल करने जैसे काम करता है। जो की हमारे द्वारा दिए गए इनपुट (निर्देशों) के हिसाब से उसका आउटपुट (परिणाम) देता है।

ये मैथमेटिकल और लॉजिकल ऑपरेशन करने के बाद ही रिजल्ट (आउटपुट) दिखता है और भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए आउटपुट को सेव करके रखता है।

ये न्यूमेरिकल और साथ ही नॉन-न्यूमेरिकल कैलकुलेशन को प्रोसेस करता है। “computer” लैटिन शब्द “computare” से लिया गया है जिसका अर्थ है गणना (calculate) करना।

कंप्यूटर के कुछ पार्ट्स होते है जिसके बिना ये काम नहीं करेगा। जैसे की प्रोसेसर, मेमोरी, मदरबोर्ड, स्टोरेज डिवाइस, इनपुट और आउटपुट डिवाइस। इन सभी पार्ट से मिल कर ही एक पूरा कंप्यूटर बनता और चलता है। इन सभी पार्ट्स के बारे में हम आगे जानेगे।

कंप्यूटर का इतिहास

एनालिटिकल इंजन पहला कंप्यूटर था जिसका आविष्कार चार्ल्स बैबेज ने 1837 में किया था। इसने पंच कार्ड्स को रीड-ओनली मेमोरी के रूप में इस्तेमाल किया। चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के पिता के रूप में भी जाना जाता है।

जैसे-जैसे समय के साथ-साथ मानव दिमाग और तकनीक में सुधार हुआ, कंप्यूटिंग उपकरणों का भी विकास हुआ। कुछ लोकप्रिय कंप्यूटिंग डिवाइस नीचे बताए गए हैं:

Abacus

Abacus - First Computer

कंप्यूटर का इतिहास अबेकस के जन्म के साथ शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता है कि ये पहला कंप्यूटर था जिसका आविष्कार 4000 साल पहले हुआ था।

ये एक लकड़ी का रैक था जिसमें धातु की छड़ें होती थी, जिन पर मोतियों की माला चढ़ाई जाती थी। अर्थमेटिक कैलकुलेशन करने के लिए कुछ नियमों के अनुसार मोतियों को अबेकस ऑपरेटर द्वारा इधर उधर किया गया था। चीन, रूस और जापान जैसे कुछ देशों में अबैकस का उपयोग आज भी किया जाता है।

Napier’s Bones

Napier Bones

ये मैन्युअल रूप से कैलकुलेट करने वाल टूल था जिसका आविष्कार मर्चिस्टन के जॉन नेपियर (1550-1617) ने किया था। इस कॅल्क्युलेटिंग टूल में, उन्होंने 9 अलग-अलग आइवरी स्ट्रिप्स या संख्याओं को मार्क करने और विभाजित करने के लिए हड्डियों का उपयोग किया।

इसीलिए, इस टूल को “नेपियर बोन्स” के नाम से जाना गया। ये डेसीमल पॉइंट का उपयोग करने वाली पहली मशीन भी थी।

Pascaline

Pascaline

Pascaline को अरिथमेटिक मशीन या ऐडिंग मशीन के नाम से भी जाना जाता है। इसका आविष्कार 1642 और 1644 के बीच एक फ्रांसीसी मैथमैटिशन-फिलोसोफर Beauis Pascal ने किया था। ऐसा माना जाता है कि ये पहला मैकेनिकल और आटोमेटिक कैलकुलेटर था।

पास्कल ने अपने पिता की मदद करने के लिए इस मशीन का आविष्कार किया था, जो एक टैक्स अकाउंटेंट थे। ये केवल जोड़ और घटाव कर सकता है। ये एक लकड़ी का डिब्बा था जिसमें गियर और पहिए की एक श्रृंखला थी।

Stepped Reckoner or Leibnitz wheel

Stepped Reckoner or Leibnitz Wheel

ये 1673 में एक जर्मन मैथमैटिशन-फिलोसोफर गॉटफ्रीड विल्हेम लिबनिट्ज द्वारा विकसित किया गया था। उन्होंने इस मशीन को विकसित करने के लिए पास्कल के आविष्कार में सुधार किया। ये एक डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर था, जिसे गियर्स के बजाय Stepped Reckoner कहा जाता था, जो कि फ्लुटेड ड्रम से बना था।

Difference Engine

Difference Engine

1820 की शुरुआत में, इसे चार्ल्स बैबेज ने डिजाइन किया था, जिन्हें “आधुनिक कंप्यूटर का पिता” के रूप में भी जाना जाता है। ये एक मैकेनिकल कंप्यूटर था जो सरल कैलकुलेशन कर सकता था।

ये एक भाप से चलने वाली कैलक्युलेटिंग मशीन थी जिसे लॉगरिदम टेबल्स की तरह नंबर्स को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

Analytical Engine

Analytical Engine

ये कैलक्युलेटिंग मशीन 1830 में चार्ल्स बैबेज द्वारा विकसित की गई थी। ये एक मैकेनिकल कंप्यूटर था जो इनपुट के रूप में पंच-कार्ड का उपयोग करता था। ये किसी भी मैथमेटिकल समस्या को हल करने और जानकारी को स्टोर करने में सक्षम था। आमतौर पर इसे ही सब पहले कंप्यूटर के रूप में जानते है।

Tabulating Machine

Tabulating Machine

इसका आविष्कार 1890 में एक अमेरिकी स्टैटिस्टिशन हर्मन होलेरिथ ने किया था। ये पंच कार्डों पर आधारित एक मैकेनिकल टेबल थी। ये आंकड़ों और रिकॉर्ड या डेटा या सॉर्ट डाटा या जानकारी को कैलकुलेट कर सकता है। 

इस मशीन का उपयोग 1890 में अमेरिकी जनगणना में किया गया था। होलेरिथ ने हॉलेरिथ टेबिलिंग मशीन कंपनी भी शुरू की जो बाद में 1924 में इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन (IBM) बन गई।

Differential Analyzer

Differential Analyzer

ये 1930 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पेश किया गया पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था। ये एक एनालॉग डिवाइस था जिसका आविष्कार वननेवर बुश ने किया था। इस मशीन में कैलकुलेशन करने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल को स्विच करने के लिए वैक्यूम ट्यूब इस्तेमाल होता था। ये कुछ ही मिनटों में 25 गणना कर सकता है।

Mark I

Mark I

कंप्यूटर के इतिहास में अगला बड़ा बदलाव 1937 में शुरू हुआ जब हॉवर्ड ऐकेन ने एक ऐसी मशीन विकसित करने की योजना बनाई जो बड़ी संख्याओ की कैलकुलेशन कर सके।

1944 में, Mark I कंप्यूटर को IBM और हार्वर्ड के बीच एक साझेदारी के रूप में बनाया गया था। ये पहला प्रोग्रामेबल डिजिटल कंप्यूटर था।

कंप्यूटर की पीढ़ी (Generations of Computers)

कंप्यूटर की पीढ़ी समय के साथ कंप्यूटर तकनीक में बदलाव और उसका विकसित होने को दर्शाता है। 1946 में, गिनती करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्ड बनाए गए थे। 

इसने पिछली कंप्यूटिंग मशीनों में गिनती के लिए उपयोग किए जाने वाले गियर और दूसरे मैकेनिकल पार्टस को बदल दिया।

हर नई पीढ़ी में, सर्किट पिछली पीढ़ी के सर्किट की तुलना में अधिक छोटे और विकसित हो गए। आकार के छोटे होने से कंप्यूटरों की स्पीड, मेमोरी और पावर बढ़ी है। कंप्यूटर की पांच पीढ़ियां हैं जिसके बारे में नीचे बताया गया हैं:

1. पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (First Generation Computers):

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (First Generation Computers)
Image Source: Tutorials Point

पहले कंप्यूटर सिस्टम में सर्किटरी के लिए वैक्यूम ट्यूब और मेमोरी के लिए चुंबकीय ड्रम का इस्तेमाल किया जाता था, और अक्सर ये बहुत बड़े होते थे, जो पूरे कमरे को घेर लेते थे। इन कंप्यूटरों को ऑपरेट करना बहुत महंगा होता था और बहुत अधिक बिजली का उपयोग करने के अलावा, पहले कंप्यूटर बहुत अधिक गर्मी पैदा करते थे, जिससे अक्सर वे ख़राब हो जाते थे।

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर मशीनी भाषा पर निर्भर थे। यानि की ऐसी भाषा जो केवल कंप्यूटर द्वारा समझी जाती थी जो सबसे कम लेवल की प्रोग्रामिंग भाषा थी। जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए किया जाता था और वे एक समय में केवल एक समस्या का समाधान या एक ही काम कर सकते थे।

एक नई समस्या को सेटउप करने में ऑपरेटरों को दिन या सप्ताह भी लग जाया करते थे। इनका इनपुट पंच कार्ड और पेपर टेप पर आधारित था, और आउटपुट प्रिंटआउट को दिखने के लिए पेपर पर प्रिंट करना पड़ता था।

पहली पीढ़ी (1940-1956) के कंप्यूटर कुछ लोकप्रिय:

  • ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer)
  • EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Computer)
  • UNIVAC (Universal Automatic Computer)
  • IBM-701
  • IBM-650

2. दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation Computers):

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation Computers)
Image Source: Tutorials Point

दुनिया दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूबों की जगह ट्रांजिस्टर करने लग गई थी। 1947 में Bell Labs ने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया गया था, लेकिन 1950 के दशक के अंत तक कंप्यूटर में इसका कुछ खास उपयोग देखने को नहीं मिला था।

ट्रांजिस्टर वैक्यूम ट्यूब से कहीं बेहतर था, जिससे कंप्यूटर अपने पहली पीढ़ी की तुलना में छोटे, तेज, सस्ता, काम ऊर्जा और अधिक विश्वसनीय बन गए।

हालांकि ट्रांजिस्टर इस्तेमाल करने के बाद भी बहुत अधिक गर्मी पैदा होती थी जिससे कंप्यूटर बंद या खराब हो जाते थे, लेकिन ये वैक्यूम ट्यूब पर एक बहुत बड़ा सुधार था।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर अभी भी इनपुट के लिए पंच कार्ड और आउटपुट के लिए प्रिंटआउट पर निर्भर थे।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्रिप्टिक बाइनरी मशीन भाषा से असेंबली भाषाओं में चले गए, जिसने प्रोग्रामरो ने शब्दों में निर्देश शुरू कर दिए। इस समय हायर-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी विकसित की जा रही थीं, जैसे COBOL और FORTRAN के शुरुआती वर्ज़न। यही से कंप्यूटर आम लोगो द्वारा काम में लिया जाने लगा।

ये पहले कंप्यूटर थे जिन्होंने अपने निर्देशों को अपनी मेमोरी में स्टोर किया, जो एक मैग्नेटिक ड्रम से मैग्नेटिक कोर तकनीक में बदल गए। इस पीढ़ी के पहले कंप्यूटरों को परमाणु ऊर्जा उद्योग के लिए विकसित किया गया था।

दूसरी पीढ़ी (1956-1963) के कुछ लोकप्रिय कंप्यूटर:

  • IBM 1620
  • IBM 7094
  • CDC 1604
  • CDC 3600
  • UNIVAC 1108

3. तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation Computers):

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation Computers)
Image Source: Tutorials Point

इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का विकास तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की पहचान थी। ट्रांजिस्टर को छोटा किया गया और सिलिकॉन चिप्स पर रखा गया, जिसे सेमीकंडक्टर्स कहा जाता है, जिससे कंप्यूटर की गति और कार्यक्षमता बड़ी है।

पंच कार्ड और प्रिंटआउट के बजाय, यूजर ने कीबोर्ड और मॉनिटर के माध्यम से तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के साथ काम और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इंटरफेस किया, जिसने डिवाइस को एक समय में कई अलग-अलग एप्लीकेशन को एक सेंट्रल प्रोग्राम के साथ चलाने दिया जो मेमोरी की निगरानी करता था।

कंप्यूटर पहली बार बड़े पैमाने पर लोगो के लिए उपलब्ध हुए क्योंकि वे अब पहले की तुलना में अधिक छोटे और सस्ते हो गए थे।

इस पीढ़ी के कंप्यूटर रिमोट प्रोसेसिंग, टाइम-शेयरिंग, मल्टी प्रोग्रामिंग को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में इस्तेमाल करते थे। साथ ही, हायर-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे कि FORTRON-II TO IV, COBOL, PASCAL PL/1, ALGOL-68 का उपयोग इस पीढ़ी में किया गया।

इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) सेमीकंडक्टर मटेरियल से बना एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है। पहला इंटीग्रेटेड सर्किट 1950 के दशक में Texas Instruments के Jack Kilby और Fairchild Semiconductor के Robert Noyce द्वारा विकसित किया गया था।

तीसरी पीढ़ी (1964-1971) के कुछ लोकप्रिय कंप्यूटर:

  • IBM-360 series
  • Honeywell-6000 series
  • PDP (Personal Data Processor)
  • IBM-370/168
  • TDC-316

4. चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (Fourth Generation Computers):

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (Fourth Generation Computers)
Image Source: Tutorials Point

माइक्रोप्रोसेसर ने चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों की शुरुआत की, क्योंकि हजारों IC एक सिलिकॉन चिप पर लगाए गए थे। पहली पीढ़ी में जो एक पूरा कमरा भरता था वह अब हाथ की हथेली में फिट हो सकता है।

चौथी पीढ़ी में कंप्यूटरों में Very Large Scale Integrated (VLSI) सर्किट का इस्तेमाल किया गया, ऐसी चिप जिसमें लाखों ट्रांजिस्टर और दूसरे सर्किट एलिमेंट होते हैं।

इन चिप्स ने इस पीढ़ी के कंप्यूटरों को अधिक छोटा, शक्तिशाली, तेज और सस्ता बना दिया था। जिससे इन्हें नेटवर्क बनाने के लिए एक साथ जोड़ा जा सकता था, यही से इंटरनेट का विकास हुआ। ये पीढ़ी के कंप्यूटर रियल-टाइम, टाइम-शरिंग और डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते थे। इस पीढ़ी में C, C ++, DBASE जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का भी उपयोग किया गया।

1971 में विकसित इंटेल 4004 चिप, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और मेमोरी से लेकर इनपुट/आउटपुट कंट्रोल तक कंप्यूटर के सभी कॉम्पोनेन्ट को एक ही चिप पर स्थित करता है।

1981 में, IBM ने घरेलू यूजर के लिए अपना पहला कंप्यूटर बनाया था और 1984 में Apple ने Macintosh को बनाया था। माइक्रोप्रोसेसर भी डेस्कटॉप कंप्यूटर के दायरे से बाहर और जीवन के कई क्षेत्रों में चले गए क्योंकि अधिक से अधिक दैनिक उत्पादों ने माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करना शुरू कर दिया था।

यही से Graphical User Interface (GUI) का इस्तेमाल किया जाने लगा। जिससे ग्राफ़िक के जरिए जो काम कर रहे है वो और अच्छा दिखने लगा और साथ ही आसान भी हो गया।

चौथी पीढ़ी (1971-2010) के कुछ लोकप्रिय कंप्यूटर:

  • DEC 10
  • STAR 1000
  • PDP 11
  • CRAY-1 (Super Computer)
  • CRAY-X-MP (Super Computer)

5. पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (Fifth Generation Computers):

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर {Fifth Generation Computers)
Image Source: Tutorials Point

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में VLSI तकनीक को ULSI (अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) से बदल दिया गया। इसने दस मिलियन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ माइक्रोप्रोसेसर चिप्स के उत्पादन को संभव बनाया।

पांचवीं पीढ़ी की कुछ लोकप्रिय उन्नत तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), Quantum Computation, नैनो टेक्नोलॉजी, पैरेलल प्रोसेसिंग आदि शामिल हैं। इस पीढ़ी में उपयोग की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषाएं C, C ++, Java, .Net, Ruby, Python आदि है।

हालांकि के ये अभी विकास में है, लेकिन कुछ एप्लिकेशन हैं, जैसे कि आवाज की पहचान करना, जिनका उपयोग आज किया जा रहा है। पैरेलल प्रोसेस और सुपरकंडक्टर्स का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को वास्तविकता बनाने में मदद कर रहा है।

पांचवीं पीढ़ी (2010-अब तक) के कुछ लोकप्रिय कंप्यूटर:

  • Desktop
  • Laptop
  • NoteBook
  • UltraBook
  • Smartphones

कंप्यूटर कैसे काम करता है?

कंप्यूटर नाम से आप भली भांति परिचित होंगे और इसके बारे थोड़ा बहुत जानते भी होंगे और अब इसके इतिहास के बारे में भी जान चुके है; तो चलिए आगे बढ़ते है और जानते है की ये काम कैसे करता है।

कंप्यूटर एक मशीन है जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बनी है। कंप्यूटर इनपुट डिवाइस के जरिए डेटा को प्राप्त करता है जो उसे दिए गए निर्देशों के आधार पर होता है और डेटा को प्रोसेस करने के बाद, आउटपुट डिवाइस के जरिए परिणाम दिखाता है।

कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस उस कंप्यूटर के प्रकार पर निर्भर करता हैं जिस पर हम काम कर रहे हैं। आमतौर पर हमे कंप्यूटर पर एक माउस, कीबोर्ड, स्क्रीन या एक एप्लिकेशन (सॉफ़्टवेयर) इंस्टॉल मिलता है।

एक बार डेटा जब मिल जाता है, तो सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) दूसरे पार्टस की सहायता से, उस जानकारी को ले कर उसे प्रोसेस करता है। डेटा तैयार होने के बाद, इसे आउटपुट डिवाइस के मदद से वापस भेजा जाता है जो मॉनिटर, स्पीकर, प्रिंटर, पोर्ट आदि हो सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर मुझे एक वीडियो या फोटो को एडिट करना है तो उसके लिए पहले मुझे वीडियो या फोटो एडिटर सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर में इनस्टॉल करना होगा और फिर मेरी दी हुई कमांड के आधार पर कंप्यूटर वीडियो या फोटो को एडिट करके उसका आउटपुट स्क्रीन (मॉनिटर) पर दिखा देगा।

सारा काम इनपुट और आउटपुट डिवाइस के जरिये ही होता है। बेहतर तरीके से जानने के लिए आइए कंप्यूटर के अंदर के पार्टस और हार्डवेयर जानते है:

  • Central Processing Unit (CPU):

CPU को हम कंप्यूटर का दिमाग भी कह सकते है। सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ज्यादातर कामो को CPU ही संभालता है, निर्देशों को प्रोसेस करना, दूसरे पार्टस आदेश देना इत्यादि।

CPU ऐसा पार्ट है जिससे सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइस कनेक्ट होते है। जिसके बाद वो अपना कर पाते है।

  • Random Access Memory (RAM):

RAM एक कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट है जहां ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा को स्टोर करता है ताकि CPU जल्दी से प्रोसेस कर सके। 

RAM में जो भी डाटा स्टोर होता है वो temporary स्टोर होता है। कंप्यूटर के बंद होते ही सारा डाटा अपने आप डिलीट हो जाता है। 

इसकी डाटा स्टोर करने की क्षमता जितनी ज्यादा होगी आपका कंप्यूटर उतना ही तेज और ठीक से काम करेगा।

  • Hard Disk Drive (HDD):

ये ऐसा पार्ट है जहाँ गाने, वीडियो, फ़ोटो, एप्लिकेशन, डॉक्यूमेंट या दूसरे सभी डाटा/फाइल स्टोर करके रखी जाती हैं। हमारे पास बहुत तेज प्रकार के स्टोरेज डिवाइस भी हैं जैसे की सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) जो HDD से काफी ज्यादा तेज और लम्बे समय तक चलती है।

  • मदरबोर्ड (Motherboard):

ये एक Printed Circuit Board (PCB) होता है, जो कंप्यूटर का महत्वपूर्ण पार्ट है, मदरबोर्ड CPU के अंदर सबसे पहले लगाया जाता है, क्योंकि इसके बिना कंप्यूटर चालू ही नहीं हो पाएगा।

इसमे सभी ज़रूरी डिवाइस जुडे रहते हैं। इनमें RAM, HDD, Monitor, BIOS, CMOS, Mouse, Keyboard, Bluetooth, Wi-Fi इत्यादि शामिल है। हर एक, पोर्ट के माध्यम से जुडे रहते हैं। मदरबोर्ड इन सभी डिवाइसो को पावर सप्लाई करता है और आपस में एक दूसरे से जोड़े रखता हैं।

  • वीडियो और साउंड कार्ड:

वैसे तो वीडियो और साउंड कार्ड दोनों ही जरूरी है लेकिन बिना साउंड कार्ड के भी कंप्यूटर चल जाएगा और उसमे काम किया जा सकता है।

साउंड कार्ड मुख्य रूप से ऑडियो के लिए होता है जैसे की WAV, MP3, इत्यादि। साउंड कार्ड के बिना आप किसी भी तरह की साउंड या गाना नहीं सुन पाओगे।

हालाँकि वीडियो कार्ड ज़रूरी है, ये आपको विडिओ, इमेज/फोटो को स्क्रीन पर दिखता है। बिना इसके आपको मॉनिटर पर कुछ दिखाई नहीं देगा।

  • कीबोर्ड और माउस:

माउस एक पॉइंटिंग डिवाइस है जिसका इस्तेमाल PC में कमांड देने के लिए किया जाता है। माउस का इस्तेमाल मुख्य रूप से कंप्यूटर स्क्रीन पर अलग अलग ऑप्शन और चीजों को चुनने के लिए, उनके विषय में जानने तथा उन्हे खोलने या बदं करने में किया जाता है।

माउस के इस्तेमाल द्वारा यूजर कंप्यूटर को काम करने के लिए निर्देश देता है। इसके द्वारा एक यूजर कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है और अपना काम आसानी से कर सकता है।

कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है, इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कंप्यूटर में commands, text, numerical data और दूसरे प्रकार के डाटा को डालने के लिए किया जाता है। एक यूजर कंप्यूटर पर काम करने के लिए इनपुट डिवाइस जैसे की कीबोर्ड और माउस का इस्तेमाल करते है।

हालांकि इसके अलावा और भी हार्डवेयर है जो कंप्यूटर में लगते है लेकिन वो जरूरी नहीं है। बिना दूसरे हार्डवेयर के भी कंप्यूटर चल जाएगा। लेकिन ऊपर बताए गए सभी जरूरी पार्ट है।

कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer)

हमने कंप्यूटर को दो तरीकों से वर्गीकृत किया हैं: डेटा संभालने की क्षमताओं और आकार के आधार पर।

I. कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Mechanism/Function)

1. एनालॉग कंप्यूटर:

एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer Example)

एनालॉग कंप्यूटर को एनालॉग डेटा को प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एनालॉग डेटा अंतहीन डेटा है जो लगातार बदलता रहता है और इसमें अलग मान नहीं होते हैं। हम एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग तब करते है, जब हमें exact डाटा की जरुरत नहीं होती है, जैसे कि speed, temperature, heart beat, pressure, current इत्यादि को नापने के लिए किया जाता है।

एनालॉग कंप्यूटर नंबर और कोड में कनवर्ट किए बिना ही डेटा को डायरेक्ट measuring डिवाइस से लेता है। इस तरह के माप में लगातार बदलाव होता है, कुछ फिजिकल मात्रा में भी होता है, जैसे की स्पीडोमीटर का इस्तेमाल speed को मापने के लिए होता है, थर्मामीटर का इस्तेमाल तापमान के बदलाव को मापने के लिए होता है, Weighing Machine का इस्तेमाल वजन मापने के लिए होता है।

एक एनालॉग कंप्यूटर का आउटपुट अक्सर रीडिंग के फॉर्म में होते हैं, जैसे भूकम मापने की मशीन या एक ग्राफ के फॉर्म में स्ट्रिप चार्ट।

2. डिजिटल कंप्यूटर:

डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer Example)

डिजिटल कंप्यूटर को हाई स्पीड पर कैलकुलेशन और लॉजिकल ऑपरेशन करने के लिए बनाया गया है। ये डेटा को डिजिट या बाइनरी नंबर (0 और 1) में इनपुट लेता है और मेमोरी में स्टोर्ड प्रोग्राम के हिसाब से प्रोसेस करके उसका आउटपुट देता है।

सभी आधुनिक कंप्यूटर जैसे लैपटॉप, डेस्कटॉप और स्मार्टफोन जिसमें हम घर या ऑफिस में इस्तेमाल में लेते हैं, वे सब डिजिटल कंप्यूटर हैं। अगर हम परिणाम की बात करते हैं तो डिजिटल कंप्यूटर ज्यादा सटीक (exact) परिणाम देते हैं। एनालॉग कंप्यूटर बहुत अधिक तेजी से काम करते हैं डिजिटल कंप्यूटर की तुलना में।

⇒ डिजिटल कंप्यूटर के फायदे:
  • ये ज्यादा से ज्यादा जानकारी को स्टोर करके रख सकता है और जब भी इस डाटा की जरुरत होगी तो उसे फिर से काम में लिया जा सकते है।
  • आप आसानी से डिजिटल सिस्टम में नई सुविधाओं को जोड़ या हटा सकते हैं।
  • हार्डवेयर में कोई बदलाव किए बिना प्रोग्राम को बदलकर अलग-अलग एप्लिकेशन को डिजिटल सिस्टम में इस्तेमाल कर सकते है।
  • ये डेटा को डिजिटली प्रोसेस करने के लिए हाई स्पीड देता है।
  • ये काफी ज्यादा भरोसेमंद है क्योंकि ये एरर करेक्शन कोड का इस्तेमाल करता है और इसी वजह से एरर भी कम आते है।

3. हाइब्रिड कंप्यूटर:

हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer Example)

हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर दोनों की विशेषताएं होती हैं। ये एक एनालॉग कंप्यूटर की तरह तेज़ काम करता है और इसमें डिजिटल कंप्यूटर की तरह डाटा को स्टोर और सटीक बताने की क्षमता भी होती है।

ये continuous और non-continuous data दोनों को ही प्रोसेस करता है। ये एनालॉग सिगनल को प्रोसेसिंग से पहले ही डिजिटल सिगनल में कन्वर्ट कर देता है। इसीलिए, ये आमतौर विशेष एप्लीकेशन में इस्तेमाल किया जाता है जहां एनालॉग और डिजिटल डेटा दोनों प्रोसेस होते हैं।

उदाहरण के लिए, प्रोसेसर का इस्तेमाल पेट्रोल पंपों में किया जाता है जो फ्यूल फ्लो के मेज़रमेंट को quantity और price में बदल कर दिखाता है। इसी तरह, उनका उपयोग हवाई जहाज, अस्पतालों और वैज्ञानिक एप्लीकेशन में भी किया जाता है।

II. आकार के आधार पर (Based on Size)

1. सुपर कंप्यूटर:

सुपर कंप्यूटर (Supercomputer)
Image Source: Wikipedia

सुपर कंप्यूटर सबसे बड़े और सबसे तेज़ कंप्यूटर हैं। उन्हें बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। एक सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में अरबों इंस्ट्रक्शंस को प्रोसेस कर सकता है। इसमें हजारों इंटरकनेक्टेड प्रोसेसर होते हैं।

सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल विशेष रूप से वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग एप्लीकेशन जैसे कि weather forecasting, scientific simulation और nuclear energy research में किया जाता है। पहला सुपरकंप्यूटर 1976 में Roger Cray नेबनाया था। C-DAC (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटर) ने भारत में PARAM सीरीज का सुपर कंप्यूटर बनाया था। ये आमतौर पर काफी महंगे होते है।

2. मेनफ़्रेम कंप्यूटर:

मेनफ़्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer Example)
Image Source: Wikipedia

मेनफ्रेम कंप्यूटर सैकड़ों या हजारों यूजर को एक साथ सपोर्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये एक ही समय में कई प्रोग्राम को सपोर्ट कर सकते हैं। इसका मतलब है कि वे एक साथ अलग अलग प्रोसेस या प्रोग्राम को एक्सीक्यूट कर सकते हैं। बैंकिंग और टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर, जिन्हें ज्यादा डेटा को मैनेज और प्रोसेस करने की जरूरत होती है उनके लिए ये कंप्यूटर बिल्क सही है।

⇒ मेनफ्रेम कंप्यूटर की विशेषताएँ:

  • ये बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेस कर सकता है जैसे की बैंकिंग क्षेत्र में एक सेकंड में लाखों का ट्रांसेक्शन।
  • ये काफी लंबा समय तक चलता है। ये कम से कम 50 साल तक आसानी से चल जाता है।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर में प्रोसेसिंग के दौरान एरर या बग होने की संभावना बहुत कम होती है। अगर कोई एरर आता भी है तो परफॉरमेंस को नुकसान पहुंचाए बिना इसे जल्दी से ठीक किया जा सकता है।

3. मिनीफ्रेम या मिनीकंप्यूटर:

मिनीकंप्यूटर (Mini Computer)

ये एक मध्यम आकार का मल्टीप्रोसेसिंग कंप्यूटर है। इसमें दो या दो से अधिक प्रोसेसर होते हैं और एक समय में 4 से 200 यूजर को सपोर्ट कर सकता हैं। मिनीफ्रेम कंप्यूटरों का इस्तेमाल इंस्टीट्यूट और डिपार्टमेंट के टास्क में किया जाता है जैसे कि बिलिंग, एकाउंटिंग और इनवेंटरी मैनेजमेंट। मिनीकंप्यूटर, मेनफ्रेम से छोटा है लेकिन माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा होता है। मोबाइल और टैबलेट मिनीफ्रेम या मिनी कंप्यूटर के उदाहरण है।

⇒ मिनीफ्रेम या मिनीकंप्यूटर की विशेषताएँ:
  • ये वजन में हल्का होता है जिससे इसे कहीं भी लेजा सकते और आसानी से फिट कर सकते है।
  • ये मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम खर्चीला होता है।
  • ये अपने आकार की तुलना में बहुत तेज काम करता है।
  • ये लंबे समय तक चार्ज रहता है।
  • इसे कंट्रोल करने के लिए ऑपरेटेड एनवायरनमेंट की आवश्यकता नहीं होती है।

4. माइक्रो कंप्यूटर:

माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)

माइक्रो कंप्यूटर को पर्सनल कंप्यूटर (PC) के नाम से भी जाना जाता है। ये एक सामान्य-उद्देश्य वाला कंप्यूटर है जिसे पर्सनल काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, मेमोरी, स्टोरेज एरिया, इनपुट यूनिट और आउटपुट यूनिट के रूप में माइक्रोप्रोसेसर है। लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर के उदाहरण हैं। जो कि असाइनमेंट बनाने, फिल्मे देखना, ऑफिस या पर्सनल काम करने के लिए एक दम सही हैं।

माइक्रो कंप्यूटर कंप्यूटर की विशेषताएँ:
  • ये सभी प्रकार के कंप्यूटरों में आकार में सबसे छोटा है। लैपटॉप के छोटे आकर होने की वजह से इसे कही भी ले कर जा सकते है।
  • कई सारे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ये पर्सनल काम और एप्लीकेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक समय में केवल एक ही यूजर काम कर सकता है।
  • ये कम खर्चीला और इस्तेमाल में आसान है।
  • यूजर को इसका इस्तेमाल करने के लिए किसी भी तरह की स्किल या ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती है।
  • आमतौर पर, सिंगल सेमीकंडक्टर चिप के साथ आता है।
  • ये मल्टीटास्किंग करने में सक्षम है जैसे कि प्रिंटिंग, स्कैनिंग, ब्राउजिंग, वीडियो देखना आदि।

कंप्यूटर के फायदे और नुकसान

कंप्यूटर के फायदे:

कंप्यूटर का इस्तेमाल वैसे तो कई कामो में किया जाता हैं। नीचे सूची दी गई है जिसमें कंप्यूटर के मुख्य फायदे बताए हुए हैं।

  1. उत्पादकता बढ़ाना:

कंप्यूटर उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता हैं और सॉफ़्टवेयर की अच्छी जानकारी होने से हम हर काम अच्छे से कर पाते है।

उदाहरण के लिए, जब आप बेसिक जानकारी के साथ एक्सेल वर्कशीट, वर्ड, पॉवरपॉइंट, फोटोशॉप, इत्यादि सॉफ्टवेयर की मदद से आप डॉक्यूमेंट और लेटर को क्रिएट, एडिट, डिलीट, स्टोर, कैलकुलेट, और प्रिंट कर सकते हैं। उसमें अपनी जरूरत के हिसाब से फेरबदल कर सकते है।

पहले की तकनीकों के साथ ये सभी काम कर पाना या तो नामुमकिन था या बहुत धीरे होता।

  1. जानकारी या डाटा को स्टोर कर सकते है:

हम जब चाहे अपनी जरुरत के हिसाब से जानकारी या डाटा को स्टोर कर सकते है और उसे कभी भी फिर से इस्तेमाल भी कर सकते है। ये सभी काम बड़ी ही आसानी से कुछ ही सेकंड में हो जाता है।

उदाहरण के लिए, इ-बुक, फिल्मों, चित्रों, गीतों और दस्तावेज़ों को डिजिटल रूप से स्टोर कर सकते हैं और उन्हें किसी के भी साथ बड़ी ही आसानी से शेयर भी कर सकते है। 

ये प्लास्टिक और पेपर की जरूरतों को कम करता है जो मीडिया के लिए नॉन-डिजिटल वर्जन बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

  1. आपको ऑनलाइन दुनिया से जोड़ता है:

कंप्यूटर आपको नेटवर्क या इंटरनेट से कनेक्ट करता है। एक बार जब आप नेटवर्क या इंटरनेट से कनेक्ट हो जाते हैं, तो आप किसी भी प्रकार की जानकारी को खोज सकते हैं और ऑडियो, वीडियो, फिल्में, दस्तावेज, और भी बहुत कुछ डाउनलोड और अपलोड कर सकते हैं।

इसके अलावा इंटरनेट पर फाइल या किसी भी तरह का डाटा शेयर कर सकते है। और भी बहुत सारे काम आप कंप्यूटर और इंटनरेट के आपस में जुड़ जाने से आसानी से कर सकते है। 

  1. जानकारी को क्रमबद्ध, व्यवस्थित और खोजने में मदद करता है:

एक कंप्यूटर किसी भी दूसरे डिवाइस की तुलना में स्टोर की गई जानकारी या डाटा में से जो आप ढूंढ रहे है या जानना चाहते है उसे बड़ी ही आसानी से ढूंढ कर आपको दिखा देता है। जैसा कि पहले वर्णित है कि एक कंप्यूटर हजारों पुस्तकों को स्टोर करके रख सकता है।

कंप्यूटर पर स्टोर पुस्तकों को इंडेक्स कैटेगरी के हिसाब से आर्गनाइज्ड करके रख सकता है, जो यूजर को एक मिनट से भी कम समय में सही ढंग से जानकारी खोजने में मदद करते हैं।

अगर मानव सैकड़ों या हजारों पुस्तकों में से खुद मैन्युअली ढूंढेगा, तो इसमें बहुत ज्यादा समय लगेगा।

  1. आपको ई-मेल और सोशल मीडिया के माध्यम से जोड़े रखता है:

कंप्यूटर आपको ई-मेल और सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से लंबी दूरी के साथ अपने दोस्त, परिवार या अन्य रिश्तेदारों से जोड़े रखता हैं। इसके अलावा, आप ऑनलाइन माध्यमों VoIP और चैट सेवाओं जैसे व्हाटसएप्प, स्काइप इत्यादि के माध्यम से हजारों से अधिक लोगों के साथ जुड़ रहते हैं।

आपके और दुनिया भर के लोगों के बीच लंबी दूरी के लोगों से मिलने का एक बेहतर तरीका है। हालाँकि आप इंटरनेट पर लोगों से शारीरिक रूप से नहीं मिल सकते हैं, फिर भी आप अपने विचारों, भावनाओं को शेयर कर सकते हैं और उनके साथ वीडियो कॉल कर सकते हैं।

  1. आपको अपडेट रखता है:

जब आप कंप्यूटर पर इंटरनेट से जुड़ते हैं, तो ये आपको लगभग आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाते है और अगर आपक कुछ भी सिखना चाहते तो वो उसके लिए भी आपको बड़ी ही आसानी से इंटरनेट पर कंटेंट मिल जाता हैं।

आप दुनिया भर की सभी समाचारों, मौसम और कहानियों के साथ खुद को अप-टू-डेट रख सकते हैं। इसके अलावा वीडियो देखना और आर्टिकल पढ़ने के साथ आप कोई नया काम भी सीख सकते हैं।

आप चाहे तो ऑनलाइन कोर्सेज के लिए रजिस्टर करके किसी भी विषय के बारे में ऑनलाइन सिख सकते हैं।

  1. आप पैसा कमा सकते हैं:

इंटरनेट से कनेक्ट होने पर आप कई अलग-अलग तरीकों से कंप्यूटर द्वारा पैसा कमा सकते हैं। ऐसे काफी सारे काम है जिसे आप घर बैठे ही कंप्यूटर और इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन पैसे कमा सकते है।

उदाहरण के लिए, आप एक ऑनलाइन स्टोर बना कर उस पर ऑनलाइन सामान बेच सकते हैं, जो कि  फिजिकल स्टोर की तुलना में ये बहुत सस्ता होता है। 

इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन फ्रीलांस, वीडियो क्रिएट और शेयर, फोटो एडिटिंग, इत्यादि जैसे कई ऑनलाइन टास्क होते है जिन्हे पूरा करके आप पैसे कमा सकते है।

  1. अपने आप काम को पूरा करने और निगरानी रखने में मदद करता है:

कंप्यूटर को किसी एक काम को पूरा करने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। जब कंप्यूटर को कोई भी काम करने के लिए सेट कर दिया जाता है तो वो उस काम को अपने आप करता जाता है, जब तक की उसे रुकने के लिए नहीं कहा जाता तब तक वो काम करता रहता है।

उदाहरण के लिए, अगर प्रिंटर द्वारा डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम किया गया है; तो फिर, आप अपनी जरुरत के अनुसार इस काम को जितनी बार चाहे उतनी पर कर सकते है और इसे बार बार करने के लिए कंप्यूटर को सेट कर सकते है।

कंप्यूटर को आप पहले से सेट कर सकते हो अगर भविष्य में कुछ घटना घटे तो उसके आधार पर वो अपने आप काम करना शुरू कर देता है। 

उदाहरण के लिए, एक कैमरा आपने कंप्यूटर से जोड़ा हुआ है जो आपके हर मूवमेंट देखता (नजर रखता) है, और जब अलर्ट बजता है तो ये रिकॉर्डिंग भी शुरू कर देता है। जैसे की सिक्योरिटी कैमरे के जरिये निगरानी रखना और सब रिकॉर्ड करता है।

  1. अपने रोजगार के ऑप्शन को बेहतर कर सकते है:

अगर आपके पास कंप्यूटर है और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना जानते हैं, तो आप अपने रोजगार के ऑप्शन को बेहतर कर सकते हैं और घर से भी काम कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, कभी-कभी ये घर से काम करने की सुविधा देता है। जैसे कि COVID-19 के प्रकोप के समय सभी लोगो को घर से काम करने की आवश्यकता पड़ी थी। 

यहाँ तक की अगर आपको कंप्यूटर चलाना आता है तो आप घर से ऑनलाइन या ऑफलाइन काम सर्च कर सकते हो अपनी जरूरत के हिसाब से या फिर फ्रीलांसर जैसा कोई भी ऑनलाइन काम कर सकते हो।

  1. समय की बचत करता है:

आज, ऐसी कई सर्विस और काम हैं जो कंप्यूटर बहुत कम समय में पूरा कर सकता है और जिससे आपका समय बच जाता है। उदाहरण के लिए:

  • आप को फिजिकली ब्रांच या ऑफिस पर जाने की जरुरत नहीं होती बैंक, बस, ट्रैन जैसे जुड़े किसी भी काम ऑनलाइन हो जाते है। सभी बैंकिंग ट्रांसेक्शन जैसे की बैलेंस चेक करना, पैसे भेजना या मंगवाना, ऑनलाइन बस और ट्रैन का टाइम देखना और उसे कंप्यूटर या मोबाइल से बुक करना इत्यादि कर सकते है। इसके अलावा, आप बिजली, सिलेंडर आदि के लिए ऑनलाइन बिल का भुगतान कर सकते हैं।
  • आप ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते है, Amazon और Flipkart जैसी किसी भी शॉपिंग साइट से ऑनलाइन पैसे दे कर सामान घर पर माँगा सकते है। जिससे आपको कही भी जाना नहीं पड़ता और काफी समय भी समय बच जाता हैं। इसके अलावा, आप एक ही सामान की कीमत की तुलना भी कर सकते है और चुन सकते है की कौन साइट पे सस्ता सामान मिल रहा है, ताकि वहां से खरीद सके। 
  • आप अपने पसंदीदा रेस्तरां या होटल से खाना भी ऑर्डर करके मंगवा सकते हैं। इसके लिए आप Swiggy और Zomato जैसी फ़ूड डिलीवरी सर्विस का इस्तेमाल कर सकते है। जिसके लिए आपको लाइन में लग कर इंतजार करने की जरुरत नहीं होती है।
  • रास्ता खोजने के लिए, आप ट्रैफिक की जानकारी के लिए ऑनलाइन गूगल मैप जैसी ऑनलाइन मैप सर्विस का इस्तेमाल कर सकते है।
  1. कंप्यूटर मनोरंजन के कार्यक्रम देख या सुन सकते है:

कंप्यूटर पर आप इंटरनेट से कनेक्ट होने पर लाखों गाने सुन सकते हैं और वीडियो या फिल्में देख सकते हैं। इसके अलावा, आप कंप्यूटर पर ऑफलाइन गाने, वीडियो या मूवीज को स्टोर करके भी देख या सुन सकते हैं जो बिना इंटरनेट कनेक्शन के कभी भी चलाया जा सकता है। अमेज़ॅन प्राइम, नेटफ्लिक्स और यूट्यूब जैसे लोकप्रिय साइटें भी हैं, जो स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन वीडियो देखने की सर्विस देती हैं।

  1. जीवन साथी को ढूंढ सकते है:

कंप्यूटर और इंटरनेट के होने से पूरी दुनिया में दूसरे लोगों से जुड़ना बहुत आसान हो गया हैं। जिसके जरिये आप इंटरनेट पर ऑनलाइन डेटिंग साइटों और शादी साइटों की मदद से अपने जीवन साथी को भी खोज सकते है उनसे बात भी कर सकते है।

कंप्यूटर के नुकसान:

हालांकि एक कंप्यूटर के कई फायदे हैं जो अलग अलग क्षेत्रों में लोगों के लिए फायदे देते हैं, कंप्यूटर के कई नुकसान भी हैं। नीचे कंप्यूटर के कुछ नुकसानों की सूची दी गई है और बताया गया है कि आपको किस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

  1. कंप्यूटर के सामने बहुत देर तक बैठना:

अगर आप लंबे समय तक कंप्यूटर के सामने बैठ कर काम कर रहे हैं, तो इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, यूजर को कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय अपनी पीठ मोड़नी पड़ती है, जिससे उन्हें अपने शरीर के अवस्था को भी बदलना पड़ता है।

वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक लंबे समय तक मुड़ी पीठ के अवस्था में बैठना शरीर के लिए ठीक नहीं है। जिससे आपको कई शारीरिक बीमारिया हो सकती है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए, आप बिच बिच में ब्रेक ले सकते हैं जहां आप थोड़ा घूम सकते हैं या करसत करते सकते हैं।

  1. वायरस और हैकिंग अटैक:

कई बार कंप्यूटर में वायरस या मैलवेयर लग जाता है और हैक कर लिया जाता है। जिससे डाटा कर्रप्ट, चोरी, डिलीट हो जाता है। 

कंप्यूटर में वायरस पेनड्राइव, ईमेल अटैचमेंट, या फिर कोई गलत वेबसाइट खोलने या सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करने से भी आ सकता है। तो इसलिए हमेशा कोशिश यही करे की जो भरोसेमंद वेबसाइट हो वही से फाइल या सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करें और इंस्टॉल करें।

कंप्यूटर में एक बार वायरस लग जाए तो काफी सारी हमारी काम की फाइल को डिलीट कर देता है या उन्हें छुपा देता है। कई बार ये वायरस कंप्यूटर को क्रैश कर देता है। जिससे फिर ठीक करवाने के लिए काफी ज्यादा पैसे देने होते है।

कई बार आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हुए किसी नई वेबसाइट पर जाते जिसके के बारे आप नहीं जानते। जिससे आपका काम तो हो जाता है लेकिन अगर वो साइट भरोसे की नहीं है तो कई बार आपके कंप्यूटर में वायरस आने का खतरा बन सकता है या फिर हो सकता है कोई हैकर आपके कंप्यूटर को हैक करले और आपको पता भी ना चले।

  1. गेम या सोशल मीडिया की लत लगना:

जैसा की आप जानते है कि हम कंप्यूटर पर गेम खेल सकते है, गाने सुन सकते है, वीडियो और फिल्में देख सकते है और भी कई दूसरे काम कर सकते है। कई बच्चे कंप्यूटर पर लम्बे समय तक कंप्यूटर गेम खेलते रहते है और इस बीच वो खाना पीना भी भूल जाते है जिससे कई शारीरिक बीमारियां हो सकती है।

उसी तरह से अगर आपके पास इंटरनेट कनेक्शन है तो हम में से कई सारे लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर घंटों बिताते है चैटिंग, वीडियो देखना, या दूसरे कामों में। ऐसा करने से आपके शरीर में प्रॉब्लम आएगी ही साथ ही अगर आपको इसकी लत लग गई तो फिर आप दूसरे काम नहीं कर पाएंगे और अपने ही समय खराब करेंगे।

में यही सलाह दूंगा की इस तरह के कामो के लिए एक या दो घंटे से ज्यादा का समय ना दे।

  1. नौकरियों की कमी:

कंप्यूटर के आ जाने से काफी सारे काम आसानी से हो जाते है। जहां इंसान एक घंटे में एक काम को पूरा करता है वही कंप्यूटर कुछ मिंटो या सेकंड में वही काम कई बार कर देता है। साथ ही कंप्यूटर एक समय में कई इंसानो के काम एक साथ कर देता है। इसलिए कंप्यूटर के आ जाने से नौकरियों में कमी आई है।

  1. काफी खर्चीला है:

कंप्यूटर महंगे हैं, यहां तक कि सबसे सस्ता कंप्यूटर अभी भी भारत में आम लोगों के लिए बहुत महंगा है। आज भी एक अच्छा कंप्यूटर कम से कम Rs. 30000 से Rs. 40000 तक का मिलता।

कंप्यूटर आज की जरुरत बन चूका। एक छोटी सुई से लेकर हवाई जहाज तक सभी कंप्यूटर से चलते और बनाए जाते है। शिक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा, यातायात, कम्युनिकेशन आदि सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का ही इस्तेमाल होता है। इसलिए ये लोगो की जरुरत बन चूका है क्युकि एक जगह से ही ये आपके सारे काम कुछ ही सेकंड में कर देता है।

कंप्यूटर और इंटनरेट की मदद से हम घर से काम कर सकते है। सभी सामान जैसे की बैग, बेडशीट, वाशिंग मशीन, TV, फ्रिज, चिप, इत्यादि कंप्यूटर के जरिये ही बनते है। आज COVID19 की वजह से सभी काम ऑनलाइन हो रहे है जैसे की ऑफिस काम, स्कूल, कोलेज की पढ़ाई, यहाँ तक की कंप्यूटर ही ऑनलाइन होने से आप काफी कुछ सिख सकते हो और दुसरो को सीखा भी सकते हो।

भारत में आने वाले समय में कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी ही सबसे ज्यादा होने वाली है। भविष्य में सभी काम कंप्यूटर से आटोमेटिक होने वाले है। आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया में सब कुछ अब ऑनलाइन होते जा रहा है इसलिए अब आप सभी सरकारी काम ऑनलाइन कर सकते है। जिससे आपका समय भी बचता है।

अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों, परिवार जनो और सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे।

Dharmendra Author on Takniki Gyan

मेरा नाम धर्मेंद्र मीणा है, मुझे तकनीक (कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन्स, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, इत्यादि) से सम्बन्धी नया सीखा अच्छा लगता है। जो भी में सीखता हु वो मुझे दुसरो के साथ शेयर करना अच्छा लगता है। इस ब्लॉग को शुरू करने का मेरा मकसद जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक हिंदी में पहुंचना है।

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